admin - Next Life https://nextlifenews.in News Magazine for Healthy Life Thu, 30 Oct 2025 15:27:41 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 https://nextlifenews.in/wp-content/uploads/2025/09/Copy-of-News-Magazine-for-Healthy-Life-150x150.png admin - Next Life https://nextlifenews.in 32 32 GSVM Medical College, Kanpur में होगा 42nd UPAPICON 2025 https://nextlifenews.in/42nd-upapicon-2025/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=42nd-upapicon-2025 Thu, 30 Oct 2025 14:06:27 +0000 https://nextlifenews.in/?p=593

30 OCT 2025, Kanpur: जी.एस.वी.एम. मेडिकल कॉलेज में होगा प्रदेश का प्रतिष्ठित 42वाँ UPAPICON 2025 सम्मेलन कानपुर।
जी.एस.वी.एम. मेडिकल कॉलेज में 1 व 2 नवम्बर 2025 को उत्तर प्रदेश चैप्टर ऑफ एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन्स ऑफ इंडिया (API) के तत्वावधान में राज्य का प्रतिष्ठित 42वाँ UPAPICON 2025 सम्मेलन आयोजित होगा। यह सम्मेलन API कानपुर शाखा द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसमें देश-प्रदेश के 500 से अधिक वरिष्ठ चिकित्सक, विशेषज्ञ, शिक्षाविद् एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थी भाग लेंगे।



मुख्य अतिथि होंगे डॉ. ज्योतिमय पाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन्स ऑफ इंडिया (API)।
गेस्ट ऑफ ऑनर होंगे डॉ. शेखर चक्रवर्ती, गवर्निंग काउंसिल सदस्य, API।
कार्यक्रम के संरक्षक होंगे डॉ. संजय काला, प्राचार्य एवं डीन, जी.एस.वी.एम. मेडिकल कॉलेज, कानपुर।



आयोजन समिति के चेयरमैन डॉ. संजय टंडन, सचिव डॉ. एस.पी. चौधरी, आयोजन अध्यक्ष डॉ. राघवेन्द्र मिश्रा, आयोजन सचिव डॉ. एस.के. गोयल, कोषाध्यक्ष डॉ. सोहम अग्रवाल।
डॉ. आर.के. वर्मा, डॉ. पी. शिवहरे, डॉ. ए.पी. गुप्ता, डॉ. एस.एस. यादव, डॉ. दुर्गेश कुमार, डॉ. एम.एस. सिंह, डॉ. अमित कुमार, डॉ. अनिल कुमार निम, डॉ. रीता सिंह, डॉ. विशाल गुप्ता एवं मेडिसिन विभाग के अन्य संकाय सदस्य शामिल हैं।



सम्मेलन में आंतरिक चिकित्सा की विभिन्न शाखाओं — कार्डियोलॉजी, एंडोक्रिनोलॉजी, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी, रुमेटोलॉजी, न्यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, पल्मोनोलॉजी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन — पर शैक्षणिक सत्र होगा।
साथ ही EEG इंटरप्रिटेशन, PFT, इंसुलिन थेरेपी और एम्बुलेटरी ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग (ABPM) पर हैंड्स-ऑन वर्कशॉप भी आयोजित की जाएँगी।



UPAPICON 2025 का उद्देश्य चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों को साझा मंच प्रदान करना है, जहाँ वे अपने अनुभव और अनुसंधानों का साझा कर सकें।


यह आयोजन आधुनिक चिकित्सा शिक्षा, शोध और सार्वजनिक स्वास्थ्य जागरूकता को नई दिशा देगा तथा कानपुर को चिकित्सा उत्कृष्टता के राष्ट्रीय मानचित्र पर अग्रणी स्थान दिलाएगा।

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“वर्ल्ड स्ट्रोक डे” के अवसर पर एक पत्रकार वार्ता का आयोजन । https://nextlifenews.in/%e0%a4%b5%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%a1-%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%95-%e0%a4%a1%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%85%e0%a4%b5%e0%a4%b8%e0%a4%b0/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%25b5%25e0%25a4%25b0%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25b2%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25a1-%25e0%25a4%25b8%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%259f%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25b0%25e0%25a5%258b%25e0%25a4%2595-%25e0%25a4%25a1%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%2585%25e0%25a4%25b5%25e0%25a4%25b8%25e0%25a4%25b0 Wed, 29 Oct 2025 11:43:21 +0000 https://nextlifenews.in/?p=586

29 Oct 2025, Kanpur: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कानपुर शाखा द्वारा "वर्ल्ड स्ट्रोक डे" के अवसर पर एक पत्रकार वार्ता का आयोजन सायं 4:00 बजे सेमिनार हाल आईएमए भवन टेंपल ऑफ सर्विस 37/7, परेड कानपुर में किया गया।

इस पत्रकार वार्ता को आईएमए कानपुर के अध्यक्ष डॉ अनुराग मेहरोत्रा, डॉ शालिनी मोहन सचिव आईएमए कानपुर, डॉ. नवनीत कुमार, सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट एवं सेवानिवृत्त प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर एवं राजकीय मेडिकल कॉलेज, कन्नोज, डॉ. कुणाल सहाय, वरिष्ठ फिजिशियन, कानपुर, डॉ निखिल साहू इंचार्ज स्ट्रोक यूनिट जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर ने संयुक्त रूप से संबोधित किया।

आई०एम०ए० कानपुर के अध्यक्ष डॉ अनुराग मेहरोत्रा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा आये हुए सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए इस बीमारी की गम्भीरता के विषय में बताया कि हर साल लगभग 1.2 करोड़ नए स्ट्रोक होते हैं। वैश्विक स्तर पर, 25 वर्ष से अधिक आयु के चार में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में स्ट्रोक होगा। हर साल, लगभग 15% स्ट्रोक 15-49 वर्ष की आयु के लोगों में होते हैं।

डॉ. नवनीत कुमार, सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट एवं सेवानिवृत्त प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर एवं राजकीय मेडिकल कॉलेज, कन्नौज, ने बताया कि आज ब्रेन स्ट्रोक दिवस है। और ब्रेन स्ट्रोक दुनिया में हृदय रोग से खत्म होने वाले रोग के बाद विश्व में मृत्यु दर में दूसरे नंबर पर है। हमारे देश में हृदय रोग के बारे में काफी जागरुकता है। लेकिन ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों की जानकारी के अभाव में ब्रेन स्ट्रोक को जल्दी नहीं पहचाना जाता है। इसमें समस्या यह है कि यदि रोगी को या उसके परिवार को यह जानकारी हो जाए कि व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक हुआ है तो वह तुरंत अस्पताल पहुंच कर वह तुरंत अपना इलाज करा सकता हैं। स्ट्रोक के कुछ रोगियों में TPA नामक दवा शुरू के 4:30 घंटे में दी जाती है जिससे उसका स्ट्रोक ठीक हो जाता है। इसे करने के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर सिटी स्कैन की सुविधा और 24 घंटे की देखभाल की सुविधा होनी चाहिए।

हमारे देश में इस समय लगभग एक करोड़ रोगी इस बीमारी से ग्रसित हैं और लगभग 12 लाख रोगी प्रतिवर्ष स्ट्रोक से ग्रसित होते है (रेफरल 2019) इसमें लगभग 25 प्रतिशत व्यक्ति हॉस्पिटल भी नहीं पहुंच पाते हैं और लगभग 25 प्रतिशत व्यक्ति एक महीने में खत्म हो जाते हैं और 25 प्रतिशत व्यक्ति विकलांगता का शिकार हो जाते हैं और बचे हुए 25 प्रतिशत रोगी समानता ठीक हो जाते हैं।

इस प्रकार ब्रेन स्ट्रोक भी हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज इत्यादि की तरह ही महाबिमारी है और इस बीमारी के बारे में जागरूकता होना अत्यंत आवश्यक है। आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में प्रति एक मिनट में एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

आई०एम०ए० कानपुर की सचिव डॉ शालिनी मोहन ने बताया कि स्ट्रोक के बाद दृश्य समस्या के चार मुख्य प्रकार हैं: दृष्टि या दृश्य क्षेत्र की हानि, जिसमें आपकी दृष्टि के कुछ क्षेत्र धुंधले या गायब होते हैं। नेत्र गति की समस्याएँ, जिसमें आपको अपनी आँखों को के द्रित करने और गति देने वाली मांसपेशियों के तंत्रिका नियंत्रण में परेशानी होती है। डॉ. कुणाल सहाय, वरिष्ठ फिजिशियन, कानपुर ने स्ट्रोक के प्रकार के बारे मे बताया कि 1 Ischemic Stroke- इस तरह के स्ट्रोक बहुत सामान्य है 80 प्रतिशत इसमें रक्त वाहिकाओं में खून जमने से ब्रेन को ब्लड नहीं पहुंच पाता है और उसको स्ट्रोक हो जाता है।

2 Hemorrhagic Stroke: लगभग 20 प्रतिशत लोगों में हाई ब्लड प्रेशर या और कारणो की वजह से रक्त वाहिका फटने से ब्रेन हेमरेज हो जाता है

रिस्क फैक्टर (कारण)
1 हाई ब्लड प्रेशर, 2 डायबिटीज, 3 हृदय के रोग, 4 खून के अंदर लिपिड (फैट) का बढ़ना, 5 हाई यूरिक एसिड, 6 स्मोकिंग (धूम्रपान), 7 व्यायाम की कमी, 8 फैमिली हिस्ट्री।

लक्षण BEFAST
B-Balance:-अचानक चलने में दिक्कत
E-Eye:-आंख की रोशनी में असर
F-Face- चेहरे का तिरछापन
A-Arm- हाथ में कमजोरी
S-Speech:- आवाज में अचानक परिवर्तन
T-Time:- समय

डॉ निखिल साहू, इंचार्ज स्ट्रोक यूनिट जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर ने स्ट्रोक को जनमानस को सुझाव के बारे में बताया कि
1 लक्षणों को याद रखें एवं तुरंत पहचाने ।
2 तुरंत निकटवर्ती अस्पताल में सिफ्ट करें ।
3 उच्च रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रित करें ।
4 नियमित जीवन शैली को प्राथमिकता दें।
5 अपना बीएमआर 25 से कम रखें और वेस्ट का साइज 100 सेंटीमीटर या 40 इंच से कम रखना आवश्यक है।

29 Oct 2025, Kanpur: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कानपुर शाखा द्वारा "वर्ल्ड स्ट्रोक डे" के अवसर पर एक पत्रकार वार्ता का आयोजन सायं 4:00 बजे सेमिनार हाल आईएमए भवन टेंपल ऑफ सर्विस 37/7, परेड कानपुर में किया गया।

इस पत्रकार वार्ता को आईएमए कानपुर के अध्यक्ष डॉ अनुराग मेहरोत्रा, डॉ शालिनी मोहन सचिव आईएमए कानपुर, डॉ. नवनीत कुमार, सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट एवं सेवानिवृत्त प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर एवं राजकीय मेडिकल कॉलेज, कन्नोज, डॉ. कुणाल सहाय, वरिष्ठ फिजिशियन, कानपुर, डॉ निखिल साहू इंचार्ज स्ट्रोक यूनिट जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर ने संयुक्त रूप से संबोधित किया।

आई०एम०ए० कानपुर के अध्यक्ष डॉ अनुराग मेहरोत्रा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा आये हुए सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए इस बीमारी की गम्भीरता के विषय में बताया कि हर साल लगभग 1.2 करोड़ नए स्ट्रोक होते हैं। वैश्विक स्तर पर, 25 वर्ष से अधिक आयु के चार में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में स्ट्रोक होगा। हर साल, लगभग 15% स्ट्रोक 15-49 वर्ष की आयु के लोगों में होते हैं।

डॉ. नवनीत कुमार, सीनियर कंसल्टेंट न्यूरलॉजिस्ट एवं सेवानिवृत्त प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर एवं राजकीय मेडिकल कॉलेज, कन्नौज, ने बताया कि आज ब्रेन स्ट्रोक दिवस है। और ब्रेन स्ट्रोक दुनिया में हृदय रोग से खत्म होने वाले रोग के बाद विश्व में मृत्यु दर में दूसरे नंबर पर है। हमारे देश में हृदय रोग के बारे में काफी जागरुकता है। लेकिन ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों की जानकारी के अभाव में ब्रेन स्ट्रोक को जल्दी नहीं पहचाना जाता है। इसमें समस्या यह है कि यदि रोगी को या उसके परिवार को यह जानकारी हो जाए कि व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक हुआ है तो वह तुरंत अस्पताल पहुंच कर वह तुरंत अपना इलाज करा सकता हैं। स्ट्रोक के कुछ रोगियों में TPA नामक दवा शुरू के 4:30 घंटे में दी जाती है जिससे उसका स्ट्रोक ठीक हो जाता है। इसे करने के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर सिटी स्कैन की सुविधा और 24 घंटे की देखभाल की सुविधा होनी चाहिए।

हमारे देश में इस समय लगभग एक करोड़ रोगी इस बीमारी से ग्रसित हैं और लगभग 12 लाख रोगी प्रतिवर्ष स्ट्रोक से ग्रसित होते है (रेफरल 2019) इसमें लगभग 25 प्रतिशत व्यक्ति हॉस्पिटल भी नहीं पहुंच पाते हैं और लगभग 25 प्रतिशत व्यक्ति एक महीने में खत्म हो जाते हैं और 25 प्रतिशत व्यक्ति विकलांगता का शिकार हो जाते हैं और बचे हुए 25 प्रतिशत रोगी समानता ठीक हो जाते हैं।

इस प्रकार ब्रेन स्ट्रोक भी हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज इत्यादि की तरह ही महाबिमारी है और इस बीमारी के बारे में जागरूकता होना अत्यंत आवश्यक है। आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में प्रति एक मिनट में एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

आई०एम०ए० कानपुर की सचिव डॉ शालिनी मोहन ने बताया कि स्ट्रोक के बाद दृश्य समस्या के चार मुख्य प्रकार हैं: दृष्टि या दृश्य क्षेत्र की हानि, जिसमें आपकी दृष्टि के कुछ क्षेत्र धुंधले या गायब होते हैं। नेत्र गति की समस्याएँ, जिसमें आपको अपनी आँखों को के द्रित करने और गति देने वाली मांसपेशियों के तंत्रिका नियंत्रण में परेशानी होती है। डॉ. कुणाल सहाय, वरिष्ठ फिजिशियन, कानपुर ने स्ट्रोक के प्रकार के बारे मे बताया कि 1 Ischemic Stroke- इस तरह के स्ट्रोक बहुत सामान्य है 80 प्रतिशत इसमें रक्त वाहिकाओं में खून जमने से ब्रेन को ब्लड नहीं पहुंच पाता है और उसको स्ट्रोक हो जाता है।

2 Hemorrhagic Stroke: लगभग 20 प्रतिशत लोगों में हाई ब्लड प्रेशर या और कारणो की वजह से रक्त वाहिका फटने से ब्रेन हेमरेज हो जाता है

रिस्क फैक्टर (कारण)
1 हाई ब्लड प्रेशर, 2 डायबिटीज, 3 हृदय के रोग, 4 खून के अंदर लिपिड (फैट) का बढ़ना, 5 हाई यूरिक एसिड, 6 स्मोकिंग (धूम्रपान), 7 व्यायाम की कमी, 8 फैमिली हिस्ट्री।

लक्षण BEFAST
B-Balance:-अचानक चलने में दिक्कत
E-Eye:-आंख की रोशनी में असर
F-Face- चेहरे का तिरछापन
A-Arm- हाथ में कमजोरी
S-Speech:- आवाज में अचानक परिवर्तन
T-Time:- समय

डॉ निखिल साहू, इंचार्ज स्ट्रोक यूनिट जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर ने स्ट्रोक को जनमानस को सुझाव के बारे में बताया कि
1 लक्षणों को याद रखें एवं तुरंत पहचाने ।
2 तुरंत निकटवर्ती अस्पताल में सिफ्ट करें ।
3 उच्च रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रित करें ।
4 नियमित जीवन शैली को प्राथमिकता दें।
5 अपना बीएमआर 25 से कम रखें और वेस्ट का साइज 100 सेंटीमीटर या 40 इंच से कम रखना आवश्यक है।

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CME on “Managing Upper GI Discomfort in Primary Care” https://nextlifenews.in/cme-on-managing-upper-gi-discomfort-in-primary-care/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=cme-on-managing-upper-gi-discomfort-in-primary-care Mon, 27 Oct 2025 16:56:43 +0000 https://nextlifenews.in/?p=575

26 Oct 2025, Kanpur: IMA हैडक्वार्टर के निर्देशानुसार IMA Physicians Learning Academy के अंतर्गत “Back to Back Academics" श्रृंखला में एक शैक्षणिक कार्यक्रम (CME) का आयोजन IMA कानपुर शाखा द्वारा आज दिनांक 26 अक्टूबर 2025 दिन रविवार को सायं 6:00 बजे से स्थानः सेमिनार हॉल, आईएमए भवन, कानपुर में किया गया।

इस शैक्षणिक सत्र का उद्देश्य चिकित्सकों को गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी से संबंधित नवीनतम जानकारियों से अवगत कराना था।

विषय एवं वक्ताः

1 उम्र के अनुसार जठरांत्र क्रिया-विज्ञान में बदलाव निदान एवं उपचार पर प्रभाव वक्ताः डॉ. शुभ्रा मिश्रा, एम.डी., डी.एम, (गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी)

2 लक्षणों और तंत्रों के बीच सेतुः ऊपरी जठरांत्र असुविधा का प्रबंधन वक्ताः डॉ. ए. सी. अग्रवाल, सीनियर फिजिशियन

आईएमए कानपुर के अध्यक्ष डॉ अनुराग मेहरोत्रा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए इन बीमारि की गम्भीरता के विषय में बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ दीपक श्रीवास्तव वैज्ञानिक सचिव आईएमए कानपुर ने किया तथा अंत में धन्यवाद ज्ञापन आईएमए कानपुर की सचिव डॉ शालिनी मोहन ने दिया।

आज के कार्यक्रम के चेयरपर्सन डॉ मयंक मेहरोत्रा Gastroenterologist रीजेंसी हॉस्पिटल कानपुर तथा डॉ पुनीत पूरी, Gastro सर्जन, कानपुर थे तथा कार्यक्रम के मॉडरेटर विकास मिश्रा पूर्व सचिव आईएमए कानपुर थे ।

आज की CME के प्रथम वक्ता डॉ. शुभ्रा मिश्रा, एम.डी., डी.एम. (गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी) ने बताया कि चिकित्सा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि उम्र बढ़ने के साथ शरीर में होने वाले स्वाभाविक परिवर्तन हमारे पाचन तंत्र (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम) को भी प्रभावित करते हैं। इन बदलावों के कारण बुजुर्गों में पाचन से जुड़ी बीमारियों की पहचान (डायग्नोसिस) और उनका उपचार (ट्रीटमेंट) दोनों अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाते हैं।

बढ़ती उम्र के साथ -

लार का स्राव कम हो जाता है, जिससे भोजन निगलने में कठिनाई होती है।
पेट में एसिड का स्राव घटता है, जिससे भोजन का पाचन धीमा पड़ जाता है।
आंतों की गतिशीलता (motility) कम होने से कब्ज़ आम हो जाती है।
लीवर और अग्न्याशय की क्रियाशीलता घटने से दवाओं का असर और पाचन दोनों प्रभावित होते हैं।
इन शारीरिक परिवर्तनों के कारण बुजुर्गों में गैस, बदहजमी, कब्ज़, और पोषण की कमी जैसी समस्याएँ अधिक देखने को मिलती हैं। कई बार पेट की गंभीर बीमारियाँ, जैसे अल्सर या रक्तस्राव, बिना दर्द के केवल कमजोरी या एनीमिया के रूप में सामने आती हैं, जिससे निदान में देर हो सकती है।

प्रथम वक्ता डॉ. शुभ्रा मिश्रा ने सलाह दी है कि बुजुर्ग व्यक्ति नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं।
संतुलित आहार, पर्याप्त पानी, और हल्का व्यायाम अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
किसी भी दवा को बिना चिकित्सकीय परामर्श के न लें, क्योंकि उम्र के साथ दवाओं का असर और दुष्प्रभाव दोनों बढ़ सकते हैं।
यह भी कहा कि इस उम्र में पाचन स्वास्थ्य की देखभाल के लिए परिवार और समाज दोनों को जागरूक होना जरूरी है।

CME के दूसरे वक्ता वक्ताः डॉ. ए. सी. अग्रवाल, सीनियर फिजिशियन ने बताया कि ऊपरी जठरांत्र असुविधा (Upper Gastrointestinal Discomfort) आज के समय की एक बहुत सामान्य स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें पेट में जलन, भारीपन, गैस, उल्टी, मतली या अपच जैसे लक्षण देखे जाते हैं। अक्सर लोग इन लक्षणों को केवल सामान्य एसिडिटी या गैस की समस्या समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जबकि वास्तव में ये शरीर की विभिन्न पाचन प्रणालियों में असंतुलन या किसी गहरी गड़‌बड़ी का संकेत हो सकते हैं।

"Bridging Symptoms and Systems" का मूल अर्थ है केवल लक्षणों को नहीं, बल्कि उनके पीछे छिपे कारणों और प्रणालियों को समझना। जब चिकित्सक रोगी के बताए लक्षणों को उसके शरीर की कार्यप्रणाली, आहार, जीवनशैली और मानसिक स्थिति से जोड़कर देखते हैं, तब ही सही निदान और उपचार संभव हो पाता है।

इस दृष्टिकोण के तहत, ऊपरी जठरांत्र संबंधी असुविधाओं के प्रबंधन में समग्र दृष्टि अपनाने पर बल दिया गया। इसमें उचित जांच जैसे H. pylori टेस्ट, एंडोस्कोपी, और आवश्यकतानुसार दवाओं (PPI, H₂ ब्लॉकर, प्रोकाइनेटिक्स आदि) का चयन शामिल है। साथ ही रोगी को स्वस्थ जीवनशैली, नियमित भोजन, तनाव नियंत्रण और नींद के महत्व के बारे में भी जागरूक किया जाना चाहिए।

जब चिकित्सक लक्षण और प्रणाली के बीच सेतु बनाते हैं, तब वे न केवल तात्कालिक राहत देते हैं बल्कि रोग की जड़ तक पहुँचकर दीर्घकालिक स्वास्थ्य सुधार सुनिश्चित कर सकते हैं। यही "Bridging Symptoms and Systems" का सार है- लक्षणों को समझकर, शरीर की प्रणाली के साथ जोड़ते हुए उपचार की दिशा तय करना।

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GSVM Medical College, Kanpur में सीपीआर प्रदान करने का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया। https://nextlifenews.in/gsvm-medical-college-kanpur/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=gsvm-medical-college-kanpur Sat, 18 Oct 2025 12:31:07 +0000 https://nextlifenews.in/?p=561

17 Oct 2025, Kanpur: भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के डिजास्टर मैनेजमेंट सेल के नेशनल इमरजेंसी लाइफ सपोर्ट ट्रेनिंग स्किल इकाई द्वारा सीपीआर जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है जिसके अंतर्गत प्रधानाचार्य डॉक्टर संजय काला, उप प्रधानाचार्य डॉक्टर रिचा गिरी, अधीक्षक डॉ आरके सिंह के मार्गदर्शन में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के निश्चेतना विभाग द्वारा विभिन्न विधाओं के पैरामेडिकल छात्रों, एमबीबीएस छात्रों, नर्सिंग कर्मचारी एवं नर्सिंग छात्रों को CPR यानी कार्डियोपलमोनरी रिसक्सीटेशन के महत्व, सीपीआर करने का उचित तरीका तथा सीपीआर प्रदान करने का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

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Press Conference by IMA Kanpur on World Mental Health Day https://nextlifenews.in/press-conference-by-ima-kanpur-on-world-mental-health-day/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=press-conference-by-ima-kanpur-on-world-mental-health-day Fri, 10 Oct 2025 09:43:34 +0000 https://nextlifenews.in/?p=541

10 Oct 2025, Kanpur : विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ. नंदिनी रस्तोगी ने कहा कि विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025 का विषय "सेवाओं तक पहुँच - आपदाओं और आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य" है। इस विषय की घोषणा विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ (WFMH) द्वारा की गई थी, जिसने 1992 में इस दिवस की शुरुआत की थी।


विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस हर साल 10 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के महत्व और अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और उसमें निवेश करने की आवश्यकता की याद दिलाता है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस एक सशक्त अनुस्मारक है कि मानसिक स्वास्थ्य के बिना स्वास्थ्य अधूरा है। इस वर्ष का अभियान मानवीय आपात स्थितियों से प्रभावित लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक आवश्यकताओं का समर्थन करने की तत्काल आवश्यकता पर केंद्रित है।


2025 विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का विषय "सेवाओं तक पहुँच - आपदाओं और आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य" है, जो प्राकृतिक आपदाओं, संघर्षों, महामारियों और अन्य आपात स्थितियों जैसे संकट के समय में मानसिक स्वास्थ्य सहायता की उपलब्धता में सुधार और उसे सुनिश्चित करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। यह विषय वैश्विक अस्थिरता के समय में लोगों के लिए अपने मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करने के महत्व पर प्रकाश डालता है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ (WFMH) द्वारा घोषित यह वैश्विक विषय, सरकारों और संगठनों से व्यक्तियों और समुदायों की सुरक्षा के लिए आपात स्थितियों के दौरान शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को भी प्राथमिकता देने का आह्वान करता है।


भारतीय चिकित्सा संघ के माननीय सचिव प्रोफेसर डॉ. विकास मिश्रा ने कहा कि इस वर्ष के विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर, हम संकटों और संघर्षों की खबरों के बार-बार सामने आने के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह विषय वर्तमान वैश्विक स्थिति के लिए अत्यंत उपयुक्त प्रतीत होता है। विश्व समाचार अनगिनत आपदाओं और आपात स्थितियों की रिपोर्ट करते हैं। ये आपदाएँ और आपात स्थितियाँ मानव मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर रही हैं? क्या मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए, यदि नहीं भी तो, सेवाओं तक पर्याप्त पहुँच है?


यदि आपदाएँ और आपात स्थितियाँ इतनी व्यापक हैं, तो ये घटनाएँ मानव स्वभाव में गहराई से निहित होनी चाहिए। इन मूलभूत प्रकृतियों के प्रतिकूल प्रभावों का मुकाबला करने के लिए, हमें मानव स्वभाव की अन्य मूलभूत प्रकृतियों को सक्रिय करने की आवश्यकता है जो दूसरों के लिए सहायता, उपचार और देखभाल को सुगम बनाती हैं।



विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ (WFMH) मानव के लिए बेहतर मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। वैश्विक मुद्दों से निपटने के लिए, WFMH को अपने राष्ट्रीय और वैश्विक भागीदारों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है।
2025 विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के प्रमुख पहलू :


1-संकटों पर ध्यान: यह विषय विशेष रूप से आपदाओं और आपात स्थितियों के दौरान सामने आने वाली गंभीर मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों पर केंद्रित है।


2-सहायता प्रणालियों को सुदृढ़ बनाना: यह संकट की स्थितियों में परामर्श, चिकित्सा और समुदाय-आधारित सेवाओं सहित मजबूत मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रणालियों की आवश्यकता पर बल देता है।


3-सहयोग: यह विषय सरकारों, स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों, मानवीय संगठनों और समुदायों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करता है ताकि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ और प्राथमिकता दी जा सके।


4-सार्वभौमिक पहुँच: इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि संकट के समय में, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ सभी के लिए उपलब्ध और सुलभ हों, चाहे उनका स्थान या परिस्थितियाँ कुछ भी हों।
रामा मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर एवं मनोरोग विभागाध्यक्ष मधुकर कटियार ने बताया कि यह विषय संकट के समय में मानसिक स्वास्थ्य सहायता को मज़बूत करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है, जैसे:
1-प्राकृतिक आपदाएँ
2-संघर्ष
3-महामारी
4-अन्य आपात स्थितियाँ ।


इस विषय पर ध्यान केंद्रित करके, WFMH और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सरकारों, स्वास्थ्य प्रणालियों और सहायता समूहों से शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को भी आसानी से उपलब्ध और प्राथमिकता देने का आह्वान कर रहे हैं।


यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर में लाखों लोग ऐसी घटनाओं के दौरान भावनात्मक आघात और दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक प्रभावों का अनुभव करते हैं। प्राकृतिक आपदाएँ, संघर्ष और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियाँ भावनात्मक संकट का कारण बनती हैं, जहाँ हर पाँच में से एक व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति से गुज़रता है। ऐसे संकटों के दौरान व्यक्तियों के मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करना न केवल महत्वपूर्ण है - बल्कि यह जीवन बचाता है, लोगों को इससे निपटने की शक्ति देता है, उन्हें न केवल व्यक्तिगत रूप से, बल्कि समुदायों के रूप में भी स्वस्थ होने और पुनर्निर्माण के लिए जगह देता है। इसलिए सरकारी अधिकारियों, स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल प्रदाताओं, स्कूल कर्मचारियों और सामुदायिक समूहों सहित सभी के लिए एक साथ आना आवश्यक है। साथ मिलकर काम करके, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि सबसे कमज़ोर लोगों को उनकी ज़रूरत के अनुसार सहायता मिले और साथ ही सभी की भलाई की रक्षा भी हो।


साक्ष्य और समुदाय-आधारित हस्तक्षेपों में निवेश करके, हम तत्काल मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं, दीर्घकालिक सुधार को बढ़ावा दे सकते हैं, और लोगों और समुदायों को अपने जीवन का पुनर्निर्माण करने और फलने-फूलने के लिए सशक्त बना सकते हैं।
दुनिया इस समय एक कठिन दौर से गुज़र रही है और भले ही आप घटनाओं से सीधे तौर पर प्रभावित न हों, फिर भी इससे निपटना बहुत मुश्किल लग सकता है। मदद माँगना ठीक है, चाहे आप या कोई और किसी भी स्थिति से गुज़र रहा हो।


हो सकता है कि हमारे पास वैश्विक स्तर पर अपनी इच्छानुसार सब कुछ प्रभावित करने या बदलने की शक्ति न हो। लेकिन कुछ चीज़ें हैं जो हम खुद को और दूसरों को वर्तमान घटनाओं के सामने अभिभूत और निराश महसूस करने से बचाने के लिए कर सकते हैं।


इस विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर, शामिल होने के कई तरीके हैं।

प्रोफेसर डॉ. मधुकर कटियार ने आगे कहा कि दुनिया भर में लाखों लोग आपदाओं और आपात स्थितियों से प्रभावित हुए हैं और हैं। आपदा प्रभावित लगभग एक-तिहाई लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के संदर्भ में गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। आपदाओं और आपात स्थितियों के कारण होने वाले मानसिक स्वास्थ्य विकारों के लिए पेशेवरों के विशेष कौशल, ज्ञान और योग्यता की आवश्यकता होती है। अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देश और रिपोर्ट आपात स्थितियों के दौरान मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक सहायता (एमएचपीएसएस) प्रदान करने के लिए विभिन्न गतिविधियों, सहायता रूपों और कार्यों की अनुशंसा करते हैं। आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए पेशेवरों और अन्य लोगों द्वारा "एक व्यापक पुनर्विचार" की आवश्यकता होती है। आपात स्थितियों और आपदाओं के प्रभाव विविध और बहुआयामी होते हैं। प्रभावित लोगों और तैनात सहायकों दोनों के लिए।



मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ गणेश शंकर ने बताया कि इस वर्ष का विषय यह भी उजागर करता है कि ये ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ मानसिक स्वास्थ्य विकार अधिक बार हो सकते हैं, इनमें से कई प्रभावित लोगों को पेशेवर मानसिक स्वास्थ्य सहायता की आवश्यकता है, और आवश्यक सहायता उन तक पहुँचनी चाहिए। डब्ल्यूएफएमएच का यह भी दायित्व है कि वह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक नेताओं, सामाजिक नेताओं और अध्यक्षों से इन लोगों के लिए पर्याप्त सहायता का अनुरोध करे, ताकि लोगों को आवश्यक पेशेवर सहायता सर्वोत्तम संभव तरीके से प्राप्त हो सके। इसके लिए सभी प्रकार के संकटों के लिए अग्रिम योजना बनाने और शिक्षा, आगे के प्रशिक्षण तथा मानसिक स्वास्थ्य ज्ञान एवं दक्षताओं के क्षेत्रों में अग्रिम कार्यान्वयन की आवश्यकता होती है। लगातार आघात के संपर्क में रहना, साथ ही अत्यधिक और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सहायता प्रदान करने का दबाव, सभी पेशेवरों के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी बोझ डाल सकता है। इसलिए डब्ल्यूएफएमएच इन कर्मचारियों पर विशेष ध्यान देने और सुरक्षा प्रदान करने का आह्वान करता है।


रामा मेडिकल कॉलेज के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीरजा कटियार ने कहा कि आपात स्थितियों से प्रभावित लगभग सभी लोग मनोवैज्ञानिक संकट का अनुभव करते हैं, जो आमतौर पर समय के साथ कम हो जाता है। पिछले 10 वर्षों में युद्ध या संघर्ष का अनुभव करने वाले पाँच में से एक व्यक्ति (22%) को अवसाद, चिंता, अभिघातज के बाद का तनाव विकार, द्विध्रुवी विकार या सिज़ोफ्रेनिया है।• आपात स्थितियाँ मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को महत्वपूर्ण रूप से बाधित करती हैं और गुणवत्तापूर्ण देखभाल की उपलब्धता को कम करती हैं।• गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोग आपात स्थितियों के दौरान विशेष रूप से असुरक्षित होते हैं और उन्हें मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और अन्य बुनियादी ज़रूरतों तक पहुँच की आवश्यकता होती है।हर साल, लाखों लोग सशस्त्र संघर्षों और प्राकृतिक आपदाओं जैसी आपात स्थितियों से प्रभावित होते हैं। ये संकट परिवारों, आजीविका और आवश्यक सेवाओं को बाधित करते हैं और मानसिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। लगभग सभी प्रभावित लोग मनोवैज्ञानिक संकट का अनुभव करते हैं। कुछ लोग आगे चलकर अवसाद या अभिघातज के बाद के तनाव विकार जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों का विकास करते हैं।आपात स्थितियाँ मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों और गरीबी एवं भेदभाव जैसी सामाजिक समस्याओं को और बदतर बना सकती हैं। ये नई समस्याओं को भी जन्म दे सकती हैं, जैसे परिवार का अलग होना और हानिकारक पदार्थों का सेवन।


मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय महेंद्रु ने कहा अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देश आपात स्थितियों के दौरान मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक सहायता (एमएचपीएसएस) प्रदान करने के लिए विभिन्न गतिविधियों की सिफारिश करते हैं, जिनमें सामुदायिक स्वयं सहायता और संचार से लेकर मनोवैज्ञानिक प्राथमिक चिकित्सा और नैदानिक मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक शामिल हैं। आपदा जोखिम न्यूनीकरण के साथ तैयारी और एकीकरण प्रभावों को कम करने के लिए आवश्यक हैं। देश आपातकालीन स्थितियों का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य में निवेश करने के अवसर के रूप में भी कर सकते हैं, तथा प्राप्त होने वाली बढ़ी हुई सहायता और ध्यान का लाभ उठाकर दीर्घावधि के लिए बेहतर देखभाल प्रणालियां विकसित कर सकते हैं।

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विश्व दृष्टि दिवस पर IMA Kanpur द्वारा वॉकथॉन का आयोजन l https://nextlifenews.in/ima-kanpur-2/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=ima-kanpur-2 Thu, 09 Oct 2025 15:49:54 +0000 https://nextlifenews.in/?p=529

09 Oct 2025, Kanpur : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आई.एम.ए.) कानपुर शाखा ने कानपुर ऑप्थाल्मिक सोसाइटी के सहयोग से, "विश्व दृष्टि दिवस", के अवसर पर एक जागरूकता वॉकथॉन का सफल आयोजन किया।

इस वर्ष की थीम , #अपनी आंखों से प्यार, के तहत यह कार्यक्रम आमजन को नेत्र सुरक्षा और नियमित नेत्र जांच के महत्व के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।

वॉकथॉन का शुभारंभ गुरुवार सुबह 7:45 बजे IMA भवन, परेड से हुआ। यह रैली बड़ा चौराहा तक गई और पुनः आई.एम.ए. भवन पर आकर संपन्न हुई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में चिकित्सकों, नेत्र रोग विशेषज्ञों, मेडिकल विद्यार्थियों और नागरिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

इस आयोजन में डॉ. नंदिनी रस्तोगी (अध्यक्ष, आई.एम.ए.), डॉ. विकास मिश्रा (सचिव, आई.एम.ए), डॉ. दीपक श्रीवास्तव वित्त सचिव, डॉ. अनुराग मेहरोत्रा (अध्यक्ष, आई.एम.ए 2025-26), डॉ. शालिनी मोहन (सचिव, आई.एम.ए. 2025-26), डॉ. विशाल सिंह (वित्त सचिव, 2025-26), डॉ. संगीता शुक्ला (अध्यक्ष, KOS), डॉ. आकाशा सिन्हा (सचिव, KOS) और डॉ. अपर्णा महेन्द्रु (वित्त सचिव, KOS) की सक्रिय भूमिका उल्लेखनीय रही।

कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को स्वास्थ्यवर्धक नाश्ते की व्यवस्था की गई। वॉकथॉन के माध्यम से IMA एवं KOS ने यह संदेश दिया कि “अपनी आंखों का ध्यान रखें, क्योंकि दृष्टि ही जीवन का प्रकाश है।”

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IMA Lucknow organised state level refresher course and CME https://nextlifenews.in/ima-lucknow-organised-state-level-refresher-course-and-cme/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=ima-lucknow-organised-state-level-refresher-course-and-cme Sun, 21 Sep 2025 16:21:45 +0000 https://nextlifenews.in/?p=514

21 Sep 2025, Lucknow: आई एम ए लखनऊ की स्टेट लेवल रिफ्रेशर कोर्स और CME प्रोग्राम का सुबह 9:30 बजे से 5:30 बजे तक का आयोजन हुआ जिसमें कुल 17 मेडिकल टॉपिक कवर हुए जिसमें समय-समय की बीमारियों तथा हृदय से संबंधित कैंसर की आखिरी स्टेज में डायबिटीज विषय पर चर्चा हुई ।

इस संगोष्ठी में 80 से 100 डॉक्टर ने भाग लिया । प्रोग्राम का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉक्टर NB Singh मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ व वशिष्ठ अतिथि डॉक्टर बृजेंद्र शुक्ला उपाध्यक्ष zone 3 IMA U.P स्टेट के द्वारा किया गया । डॉक्टर सरिता सिंह, अध्यक्ष IMA लखनऊ के द्वारा आए हुए अतिथियों को स्वागत किया गया ।

डॉक्टर जेडी रावत साइंटिफिक कमेटी अध्यक्ष, डॉ विनीता मित्तल पूर्व अध्यक्ष, डॉ मनोज कुमार अस्थाना , निर्वाचित अध्यक्ष ने प्रोग्राम की सराहना की और कहां की इस से डॉक्टरों की नॉलेज बढ़ती है इस तरह के प्रोग्राम होते रहने चाहिए । डॉ संजय सक्सेना, सचिव ने स्वच्छ एवं स्वस्थ लखनऊ बनाने की बात कही ।

इस मौके पर Dr.शाश्वत विद्याधर , डॉ आर बी सिंह, डॉ अनिल कुमार त्रिपाठी, डॉ गुरमीत सिंह, डॉक्टर आलोक महेश्वरी, डॉ रामा श्रीवास्तव, डॉ सुमित सेठ आदि लखनऊ के काफी सदस्य उपस्थित थे ।

डॉक्टर संजय सक्सेना, सचिव IMA लखनऊ ने प्रोग्राम के अंत में धन्यवाद प्रस्ताव दिया

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IMA Kanpur organised CME on GERD – From Pills to Plication. https://nextlifenews.in/ima-kanpur-organised-cme-on-gerd-from-pills-to-plication/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=ima-kanpur-organised-cme-on-gerd-from-pills-to-plication Sun, 21 Sep 2025 05:40:39 +0000 https://nextlifenews.in/?p=508

20 Sep 2025, Kanpur: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) कानपुर शाखा द्वारा एक वैज्ञानिक सी.एम.ई. का आयोजन दिनांक 20 सितम्बर 2025, दिन शनिवार को सायं 8:00 बजे जीतेन्द्र कुमार लोहिया सभागार, आईएमए भवन (टेम्पल ऑफ सर्विस), 37/7, परेड, कानपुर में किया गया।



इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. पुनीत पुरी, एम.एस., एम.च. (गैस्ट्रो), गैस्ट्रो सर्जन, कानपुर ने "GERD : फ्रॉम पिल्स टू प्लिकेशन" विषय पर अपना व्याख्यान दिया।



वक्ता डॉ पुनीत पूरी ने बताया कि GERD: गैस्ट्रो इसोफेजियल रिफलकस डीज़ीज़


इस बीमारी में आमाश्य में बना Acid और खाना वापिस Food Pipe (Esophagus) में आते हैं। ऐसा LES Lower Esophaged Sphincter) की कमज़ोरी से होता है। मरीज़ को मुख्यता छाती में जलन महसूस होती है। भोजन वापिस मुंह में आता है और कभी कभी नाक से भी निकल आता है। कुछ मरीज़ को लगातार खांसी बनी रहती है। और chest pain भी होती है और वह अनजाने में Chest physician या Cardiologist की सलाह लेते हैं। लम्बा समय तक GERD रहने से food pipe में रुकावट अथवा कैंसर भी बन जाता है। Acid की मात्रा को दवाई द्वारा कम करके इस बीमारी के लक्ष्णों को कम किया जा सकता है।
Laparoscopic anti refleex surgery (Fondoplication) इस बीमारी का Permanent solution है। Life long medicine से भी छुटकारा मिल जाता है और quality of life भी improve होती है।



इस कार्यक्रम के चेयरपर्सन डॉ. पीयूष मिश्रा, वरिष्ठ कंसल्टेंट गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट, कानपुर एवं डॉ. बृजेंद्र सिंह, वरिष्ठ गैस्ट्रो सर्जन, कानपुर थे।


इस कार्यक्रम के पैनलिस्ट डॉ. ए.सी. अग्रवाल, वरिष्ठ फिजीशियन एवं डायबेटोलॉजिस्ट, कानपुर एवं डॉ. अभिनव सेंगर, गैस्ट्रो सर्जन, ट्यूलिप हॉस्पिटल, कानपुर थे।


कार्यक्रम संयोजक: डॉ. कीर्ति वर्धन सिंह, कानपुर।



इस अवसर पर आईएमए कानपुर की अध्यक्ष डॉ नंदिनी रस्तोगी एवं सचिव डॉ विकास मिश्रा ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया तथा चिकित्सकों एवं सदस्यों से सक्रिय सहभागिता हेतु आभार व्यक्त किया।

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GSVM मेडिकल कॉलेज, कानपुर में Postpartum mental health awareness camp का आयोजन किया गया । https://nextlifenews.in/gsvm-postpartum-mental-health-awareness-cam/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=gsvm-postpartum-mental-health-awareness-cam Fri, 19 Sep 2025 02:25:16 +0000 https://nextlifenews.in/?p=495

18 Sep 2025, Kanpur: स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान (17 सितम्बर से 2 अक्तूबर 2025) के अंतर्गत जी. एस. वी. एम. मेडिकल कॉलेज, कानपुर के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग और मानसिक रोग विभाग द्वारा दिनांक 18 सितम्बर 2025, गुरुवार को" प्रसवोत्तर मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम (Postpartum mental health awareness camp)" का आयोजन किया गया। जिसमें लगभग 75 मरीज इस व्याख्यान से लाभान्वित हुए।



कार्यक्रम का आयोजन प्राचार्य डॉ. संजय काला एवं उप प्राचार्या डॉ. ऋचा गिरी, S IC डॉ R K singh , स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. रेनु गुप्ता, मानसिक रोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. धनंजय चौधरी, नोडल ऑफिसर डॉ नीना गुप्ता के मार्गदर्शन में किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रतिमा वर्मा द्वारा किया गया।


इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉक्टर रेनू गुप्ता ने गर्भवती स्त्रियों एवं उनके परिवारजनों को प्रसव के पश्चात के शरीर की रिकवरी, घावों की जांच और किसी भी जटिलता के लिए निगरानी रखने के बारे में बताया गया।


नोडल अधिकारी डॉक्टर नीना गुप्ता ने बताया कि "हमें इस समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। परिवार को भी नई माँ के व्यवहार में आने वाले बदलावों को पहचानना और सहयोग करना चाहिए। सही समय पर परामर्श और इलाज से इस स्थिति को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है"।



मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष। डॉक्टर धनंजय ने बताया कि प्रसवोत्तर मनोरोग संबंधी विकारों की व्यापकता उनके प्रकार पर निर्भर करती है। इसमें प्रसवोत्तर ब्लूज़ (बेबी ब्लूज़), प्रसवोत्तर अवसाद, प्रसवोत्तर मनोविकार शामिल हैं।


मुख्य वक्ता डॉ शिखा मनोरोग विभाग से बताया कि यह विकार अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग रूप से पाए जाते हैं, जिनमें सबसे आम से लेकर दुर्लभ तक शामिल हैं।


इसमें प्रसवोत्तर मनोविकार बहुत ही दुर्लभ लेकिन गंभीर मानसिक बीमारी है जो की बच्चे के जन्म के बाद अचानक हो सकती है। एक यह लगभग 1,000 में से 1 माँ को प्रभावित करती है। यह आमतौर पर बच्चे के जन्म के पहले दो से तीन हफ्तों के भीतर शुरू होती है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है और इसके लिए तुरंत इलाज की जरूरत होती है।



इसके मुख्य लक्षण ये हो सकते है:


बहुत ज्यादा भ्रमित महसूस करना, सोचने समझने में दिक्कत महसूस करना, शक करना, अधिक ऊर्जावान होना, नींद में कमी, बच्चे या स्वयं को नुकसान पहुंचाने का डर या विचार आना।



प्रसवोत्तर मनोविकार का इलाज संभव है। इसमें आमतौर पर डॉक्टर की सलाह, दवाइयाँ और थेरेपी शामिल होती है।



प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव, नींद की कमी, नई जिम्मेदारियों का दबाव और पारिवारिक सहयोग की कमी इसके मुख्य कारण हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को सामाजिक कलंक मानने के कारण कई महिलाएं इलाज से वंचित रह जाती हैं।


कार्यक्रम में सहित सभी संकाय सदस्यों का सहयोग रहा। इस अवसर पर डॉक्टर अनीता गौतम, डॉ सीमा द्विवेदी, डॉ शैली अग्रवाल, डॉ पाविका लाल, डॉ रश्मि यादव इत्यादि उपस्थित रहे।

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GSVM मेडिकल कॉलेज, कानपुर के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग द्वारा मेनोपॉज़ एवं बोन हेल्थ जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। https://nextlifenews.in/gsvm/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=gsvm Wed, 17 Sep 2025 15:12:45 +0000 https://nextlifenews.in/?p=484

17 Sep 25, Kanpur स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान (17 सितम्बर से 2 अक्तूबर 2025) के अंतर्गत जी.एस.वी.एम. मेडिकल कॉलेज, कानपुर के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग द्वारा दिनांक 17 सितम्बर 2025, बुधवार को मेनोपॉज़ एवं बोन हेल्थ जागरूकता कार्यक्रम (BMD Camp) का आयोजन किया गया।



कार्यक्रम का आयोजन प्राचार्य डॉ. संजय काला एवं उप प्राचार्या डॉ. ऋचा गिरी , विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. रेनु गुप्ता, नोडल ऑफिसर डॉ नीना गुप्ता के मार्गदर्शन में किया गया ।

इस अवसर पर डॉ नीना गुप्ता ने कहा कि रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में कैल्शियम एवं हार्मोनल परिवर्तन के कारण हड्डियों की कमजोरी बढ़ जाती है,।


डॉ रेनू गुप्ता ने मेनोपॉज के पश्चात समय पर स्वास्थ्य संबंधी व हड्डियों की जांच एवं संतुलित आहार के साथ जीवनशैली में सुधार के महत्व के विषय में बताया।

समन्वयक डॉ. शैलेी अग्रवाल द्वारा रजोनिवृत्ति से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं एवं हड्डियों की कमजोरी (ऑस्टियोपोरोसिस) की रोकथाम के विषय में जानकारी दी गई


, “मेनोपॉज़ को लेकर कई मिथक और भ्रांतियाँ हैं। हम चाहते हैं कि महिलाएँ इसे डर या झिझक से नहीं, बल्कि जानकारी और आत्मविश्वास के साथ स्वीकार करें। उचित देखभाल, नियमित चिकित्सकीय जांच और परिवार का सहयोग इस अवस्था में स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।”




विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा 87 महिलाओं को नि:शुल्क परामर्श एवं बोन मिनरल डेंसिटी (BMD) जांच की सुविधा उपलब्ध कराई गई।
BMD जांच में
80 %महिलाओं में osteopenia पाया गया तथा 14% महिलाएं ओस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त पाई गई।



कार्यक्रम में स्वास्थ्य जांच शिविर तथा व्यक्तिगत परामर्श से संबंधित गतिविधियाँ एवं संतुलित आहार पर मार्गदर्शन दिया गया। बड़ी संख्या में महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और विशेषज्ञों से सीधे संवाद कर अपने प्रश्नो का उत्तर पाया



कार्यक्रम में डॉ श्रुति गुप्ता , डॉ पंखुड़ी जायसवाल डॉ नूर फातिमा सहित सभी संकाय सदस्यों का सहयोग रहा।

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