Nephrology - Next Life https://nextlifenews.in News Magazine for Healthy Life Mon, 01 Sep 2025 05:25:46 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 https://nextlifenews.in/wp-content/uploads/2025/09/Copy-of-News-Magazine-for-Healthy-Life-150x150.png Nephrology - Next Life https://nextlifenews.in 32 32 IMA कानपुर ने Fortis Memorial Research Institute, गुरुग्राम के सहयोग से CME कार्यक्रम का आयोजन किया। https://nextlifenews.in/ima-fortis-memorial-research-institute/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=ima-fortis-memorial-research-institute Mon, 01 Sep 2025 05:20:06 +0000 https://nextlifenews.in/?p=457

31 Aug 2025, Kanpur – इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) कानपुर शाखा ने फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट, गुरुग्राम के सहयोग से जितेन्द्र कुमार लोहिया सभागार, टेम्पल ऑफ सर्विस, कानपुर में एक वैज्ञानिक सीएमई (CME) कार्यक्रम का सफल आयोजन किया।

इस अवसर पर प्रसिद्ध विशेषज्ञ चिकित्सकों ने गुर्दा (किडनी) रोगों से संबंधित विभिन्न विषयों पर अपने विचार एवं नवीनतम जानकारी साझा की।

इस वैज्ञानिक सीएमई कार्यक्रम का समन्वयन आईएमए सचिव डॉ. विकास मिश्रा द्वारा किया गया।

कार्यक्रम के चेयरपर्सन वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. डी.के. सिन्हा एवं डॉ. समीर गोयल थे।

कार्यक्रम के मुख्य विषय इस प्रकार रहे:
1. क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) मरीजों के जीवन की गुणवत्ता कैसे बेहतर करें
वक्ता: डॉ. हिमांशु वर्मा (डायरेक्टर – वैस्कुलर एवं एंडोवास्कुलर सर्जरी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट, गुरुग्राम)

2. किडनी रोगों की रोकथाम (Preventing Kidney Disease)
वक्ता: डॉ. सलील जैन (सीनियर डायरेक्टर एवं विभागाध्यक्ष – नेफ्रोलॉजी व रीनल ट्रांसप्लांट, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट, गुरुग्राम)l

आज की सीएमई में वक्ताओं ने बताया कि :
डॉ. सलील जैन, सीनियर डायरेक्टर एवं एचओडी, नेफ्रोलॉजी एवं रीनल ट्रांसप्लांट: “किडनी रोग से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका है रोकथाम। जीवनशैली में बदलाव, नियमित जांच और समय पर हस्तक्षेप से भारत में रोग का बोझ काफी कम किया जा सकता है।”

डॉ. प्रदीप बंसल, डायरेक्टर, यूरोलॉजी: “किडनी ट्रांसप्लांट में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिससे मरीजों को नई आशा और लंबी आयु मिल रही है। हमारा एकीकृत दृष्टिकोण केवल क्लिनिकल उत्कृष्टता ही नहीं, बल्कि मरीज-केंद्रित देखभाल भी सुनिश्चित करता है।”

डॉ. हिमांशु वर्मा, डायरेक्टर, वैस्कुलर सर्जरी: “क्रॉनिक किडनी डिजीज एक साइलेंट कंडीशन है, जो जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। जागरूकता और बहु-विषयक देखभाल के माध्यम से हम मरीजों को स्वस्थ और लंबा जीवन जीने में मदद कर सकते हैं।”

इस अवसर पर आईएमए कानपुर शाखा की अध्यक्ष डॉ. नंदिनी रस्तोगी एवं सचिव डॉ. विकास मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत किया तथा सभी चिकित्सकों एवं सदस्यों से सक्रिय सहभागिता हेतु आभार व्यक्त किया।

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डॉ. युवराज गुलाटी और डॉ विनय कुमार सचान द्वारा IMA कानपुर शाखा की सी०एम०ई० में संबोधन https://nextlifenews.in/ima-6/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=ima-6 Sun, 27 Jul 2025 01:42:58 +0000 https://nextlifenews.in/?p=379

26 जुलाई 2025, दिन शनिवार को, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कानपुर शाखा द्वारा एक "वैज्ञानिक सी०एम०ई०" का आयोजन, "ऑडिटोरियम", आई.एम.ए. भवन (सेवा का मंदिर), 37/7, परेड, कानपुर में, रात्रि 8:00 बजे किया गया।

इस वैज्ञानिक सी०एम०ई० के प्रथम वक्ता डॉ. युवराज गुलाटी, सहायक प्रोफेसर, नेफ्रोलॉजी विभाग, जीएसवीएम एसएस पीजीआई कानपुर ने, :-"सामान्य रोगी में हाइपरयूरेसीमिया में फेबुक्सोस्टैट की भूमिका" विषय पर एवं द्वितीय वक्ता डॉ विनय कुमार सचान, एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग, जीएसवीएम पीजीआई कानपुर, ने "आईबीएस और आईबीएस रोगी में मेबिवेरिन की भूमिका" विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किए।

प्रथम वक्ता डॉ युवराज गुलाटी ने हायपरयूरिसीमिया में फेबुक्सोस्टेट की भूमिका: (Febuxostat: Uric Acid नियंत्रित करने की एक प्रभावशाली दवा): विषय पर बताया कि बदलती जीवनशैली, असंतुलित खानपान, मोटापा और तनाव के कारण आजकल बड़ी संख्या में लोग हायपरयूरिसीमिया यानी शरीर में यूरिक एसिड की अधिकता से प्रभावित हो रहे हैं। यह स्थिति यदि अनदेखी की जाए तो गठिया (Gout), किडनी स्टोन, और गुर्दे की खराबी जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है।

इस स्थिति के प्रबंधन में फेबुक्सोस्टेट (Febuxostat) नामक दवा को एक प्रभावशाली विकल्प माना गया है। यह दवा यूरिक एसिड के उत्पादन को कम करके शरीर में इसके स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है।

फेबुक्सोस्टेट कैसे कार्य करता है?
फेबुक्सोस्टेट एक xanthine oxidase inhibitor है, जो यूरिक एसिड बनने की प्रक्रिया को रोकता है। इससे गठिया के लक्षणों में राहत मिलती है और भविष्य में होने वाली जटिलताओं की आशंका कम होती है।
फायदे:
गठिया के तीव्र दर्द से राहत
किडनी पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को कम करता है
पुराने मरीजों में यूरिक एसिड का स्तर स्थिर बनाए रखने में मददगार

ध्यान देने योग्य बातें:
यह दवा डॉक्टर की सलाह से ही लें
नियमित रूप से ब्लड टेस्ट कराते रहें
दवा के साथ पर्याप्त पानी पिएं और भोजन में परहेज रखें
लिवर और हार्ट संबंधी समस्याओं में सावधानी आवश्यक

जन-सामान्य से अनुरोध है कि हायपरयूरिसीमिया के लक्षण जैसे कि जोड़ों में सूजन, दर्द या किडनी की तकलीफ महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय रहते उपचार कराने पर यह रोग पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।

द्वितीय वक्ता डॉ विनय कुमार सचान ने आईबीएस (Irritable Bowel Syndrome) और मेबिवेरिन की भूमिका: विषय पर बताया कि (पेट की परेशानी को हल्के में न लें – जानिए कारण, लक्षण और उपचार)
आज की तेज़ रफ्तार जीवनशैली, अनियमित खानपान, तनाव और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण बड़ी संख्या में लोग आईबीएस (Irritable Bowel Syndrome) जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं से ग्रस्त हो रहे हैं।
आईबीएस एक लंबे समय तक रहने वाली आंत की कार्यात्मक बीमारी है, जिसमें रोगी को बार-बार पेट दर्द, गैस, अपच, डायरिया या कब्ज की समस्या होती है। यह बीमारी जीवन के गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है, हालांकि इसमें कोई संरचनात्मक खराबी नहीं पाई जाती।

आईबीएस के प्रमुख लक्षण:
बार-बार पेट में ऐंठन या मरोड़
दस्त या कब्ज (या दोनों का交विकल्पिक रूप से होना)
पेट में फुलाव या गैस
मल त्याग के बाद राहत महसूस होना
भोजन के बाद पेट खराब होना

मेबिवेरिन (Mebeverine) की भूमिका:
मेबिवेरिन एक एंटीस्पास्मोडिक दवा है, जो आईबीएस से पीड़ित रोगियों के लिए राहतदायक सिद्ध होती है। यह दवा आंतों की मांसपेशियों को शांत करती है, जिससे ऐंठन और दर्द में कमी आती है।

फायदे:
आंत की मरोड़ और ऐंठन में त्वरित राहत
गैस और फुलाव की समस्या में सुधार
जीवनशैली की गुणवत्ता में सुधार
बिना नींद या थकान के साइड इफेक्ट रहित कार्यप्रणाली

सावधानियां:
मेबिवेरिन का सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करें
दवा के साथ संतुलित आहार और नियमित व्यायाम अपनाएं
अधिक मिर्च-मसाले, तला हुआ भोजन और तनाव से दूर रहें
लंबे समय तक लक्षण बने रहने पर चिकित्सकीय परामर्श लें
"आईबीएस एक आम लेकिन नजरअंदाज की जाने वाली बीमारी है। यदि समय रहते इसका निदान और उपचार न किया जाए तो यह लंबे समय तक परेशान कर सकती है। मेबिवेरिन जैसे सुरक्षित और प्रभावी उपचार से जीवन में राहत संभव है।"

आई.एम.ए. कानपुर की अध्यक्ष डॉ. नंदिनी रस्तोगी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की, तथा आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ गणेश शंकर वैज्ञानिक सचिव आई एम ए कानपुर ने किया। इस कार्यक्रम के मॉडरेटर डॉ कीर्तिवर्धन सिंह संयुक्त वैज्ञानिक सचिव आईएमए कानपुर थे तथा अंत में धन्यवाद ज्ञापन, आई.एम.ए. कानपुर के सचिव, डॉ. विकास मिश्रा ने दिया।
इस कार्यक्रम के चेयरपर्सन डॉ. अर्चना भदौरिया वरिष्ठ सलाहकार नेफ्रोलॉजिस्ट एवं निदेशक लोटस हॉस्पिटल, कानपुर, डॉ मानसी सिंह कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट रीजेंसी अस्पताल, कानपुर, डॉ. ए.एस.अरुण खंडूरी वरिष्ठ सलाहकार गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट कानपुर, डॉ. अजीत कुमार रावत सलाहकार गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट एवं निदेशक, प्रथा अस्पताल, कानपुर एवं डॉ. राहुल कपूर कंसल्टेंट फिजिशियन कानपुर थे।

इस कार्यक्रम में, डॉ. ए.सी. अग्रवाल, चेयरमैन वैज्ञानिक सब कमेटी, डॉ. कुणाल सहाय, उपाध्यक्ष, आई.एम.ए. कानपुर एवं डॉ कीर्ति वर्धन सिंह संयुक्त वैज्ञानिक सचिव, प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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