Oncology - Next Life https://nextlifenews.in News Magazine for Healthy Life Sun, 20 Jul 2025 02:23:39 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 https://nextlifenews.in/wp-content/uploads/2025/09/Copy-of-News-Magazine-for-Healthy-Life-150x150.png Oncology - Next Life https://nextlifenews.in 32 32 IMA कानपुर शाखा और वेंकटेश्वर अस्पताल, नई दिल्ली के सहयोग से, एक “वैज्ञानिक सी०एम०ई०” का आयोजन। https://nextlifenews.in/ima-5/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=ima-5 Sun, 20 Jul 2025 02:09:41 +0000 https://nextlifenews.in/?p=355

19 July 2025, Kanpur, IMA कानपुर शाखा और वेंकटेश्वर अस्पताल, नई दिल्ली के सहयोग से, एक "वैज्ञानिक सी०एम०ई०" का आयोजन, "ऑडिटोरियम", आई.एम.ए. भवन (सेवा का मंदिर), 37/7, परेड, कानपुर में, रात्रि 8:00 बजे किया गया। इस वैज्ञानिक सी०एम०ई० मे प्रथम वक्ता, डॉ दिनेश चंद्र कटियार, निदेशक - सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जरी, वेंकटेश्वर अस्पताल, दिल्ली ने "कैंसर के खिलाफ लड़ाई में चिकित्सकों की भूमिका" विषय पर व्याख्यान दीया l

प्रथम वक्ता ने बताया की:
आमजन में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से इस बात पर ज़ोर देना है कि, कैंसर जैसे गंभीर रोग की रोकथाम, पहचान और प्रबंधन में ‘जनरल फिजीशियन’ (सामान्य चिकित्सक) की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। आज भी भारत में अधिकांश लोग, किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए सबसे पहले जनरल फिजीशियन से ही संपर्क करते हैं, ऐसे में यह डॉक्टर न केवल प्रारंभिक लक्षणों की पहचान करते हैं, बल्कि सही समय पर मरीज को विशेषज्ञ के पास रेफर करके उसकी जान भी बचा सकते हैं।

कैंसर अब कोई दूर की बीमारी नहीं रही, यह हमारे आस-पास, हमारे परिवार और समाज का एक गंभीर यथार्थ बन चुका है। किंतु एक अच्छी बात यह है कि यदि कैंसर की पहचान प्रारंभिक चरण में हो जाए, तो इसका इलाज अधिक प्रभावशाली, किफायती और सफल होता है।
कैंसर के प्रारंभिक संकेत जिन्हें नजरअंदाज़ न करें:
1. बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन कम होना l
2. शरीर में किसी गाँठ या सूजन का महसूस होना l
3. लंबे समय तक ठीक न होने वाला घाव l
4. लगातार खांसी या आवाज में बदलाव l
5. निगलने में कठिनाई या लगातार अपच l
6. मल, मूत्र या थूक में खून आना l
7. महिलाओं में असामान्य रक्तस्राव या श्वेत प्रदर l
अगर ये लक्षण दो सप्ताह से अधिक समय तक बने रहें तो डॉक्टर से अवश्य मिलें।

क्यों होती है पहचान में देर?
1. जानकारी का अभाव l
2. भय, सामाजिक संकोच या कलंक l
3. आर्थिक संसाधनों की कमी l
4. झोलाछाप उपचार या देरी से जांच कराना l

इन सभी बाधाओं को जागरूकता और सही जानकारी से दूर किया जा सकता है। इन लक्षणों को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। जनरल फिजीशियन ऐसे लक्षणों को पहचान कर आवश्यक जांच व उपचार की दिशा में पहला कदम उठाते हैं। नागरिकों के लिए सुझाव: 1. साल में एक बार संपूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण कराएं l
2. नियमित कैंसर स्क्रीनिंग (विशेषतः स्तन, सर्वाइकल व प्रोस्टेट कैंसर) करवाएं l
3. तंबाकू, गुटखा, शराब और अस्वस्थ जीवनशैली से दूरी बनाएं l
4. संतुलित आहार, व्यायाम और मानसिक तनाव प्रबंधन को अपनाएं l
5. किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज न करें - चिकित्सक से तुरंत परामर्श लें l

जनरल फिजीशियन की ज़िम्मेदारियाँ:
1. प्रारंभिक स्क्रीनिंग और संदिग्ध लक्षणों की पहचान l
2. सही समय पर विशेषज्ञ डॉक्टर (ऑन्कोलॉजिस्ट) को रेफर करना l
3. मरीज को मानसिक संबल देना और इलाज की जानकारी समझाना l
4. रोग की रोकथाम हेतु जनजागरूकता फैलाना l
5. टीकाकरण, तंबाकू निषेध एवं जीवनशैली में सुधार के सुझाव देना l

जनता से अपील:
यदि आप या आपके परिवार में किसी को लंबे समय से कोई असामान्य लक्षण हैं, तो तुरंत अपने नज़दीकी जनरल फिजीशियन से संपर्क करें।
कैंसर की रोकथाम संभव है, यदि समय रहते लक्षणों को पहचाना जाए और उचित इलाज शुरू किया जाए। न घबराएं, न छुपाएं - डॉक्टर से सलाह लें। आमजन को यह संदेश है कि "समय रहते चेतना – कैंसर से रक्षा की पहली शर्त है।" आज आवश्यकता है कि हम कैंसर से डरें नहीं, बल्कि इसकी समय पर पहचान और जांच को अपनी आदत बनाएं। "कैंसर की पहचान में देरी, जीवन की कीमत पर भारी पड़ सकती है। समय पर जाँच और सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है। आप जागरूक होंगे, तो आप सुरक्षित होंगे।"
अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए, आज ही पहला कदम उठाएं।

निष्कर्ष:
"कैंसर के खिलाफ लड़ाई अकेले विशेषज्ञ डॉक्टरों की नहीं, बल्कि हर सामान्य चिकित्सक की भी है। जागरूकता, सतर्कता और समय पर परामर्श ही इस जंग में हमारी सबसे बड़ी ताकत है।"
इस कार्यक्रम के प्रथम सत्र के चेयरपर्सन, प्रो. (डॉ.) एम. पी. मिश्रा, पूर्व निदेशक - जे.के. कैंसर संस्थान, कानपुर एवं विभागाध्यक्ष, पैथोलॉजी विभाग नारायणा मेडिकल कॉलेज, कानपुर एवं डॉ. प्रदीप त्रिपाठी, प्रबंध निदेशक, रतनदीप हॉस्पिटल कानपुर थे।

द्वितीय वक्ता, डॉ. (ग्रुप कैप्टन) सुमेश कैस्था, निदेशक - लिवर ट्रांसप्लांट और रोबोटिक्स, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी एवं ऑन्कोलॉजी, वेंकटेश्वर अस्पताल, दिल्ली ने, "वयस्क जिगर प्रत्यारोपण का अवलोकन" विषय पर, अपने व्याख्यान प्रस्तुत किया।
उनके अनुसार:
जिगर (लीवर) हमारे शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है, जो भोजन को पचाने, विषैले तत्वों को निष्क्रिय करने, रक्त को शुद्ध करने और कई जीवनरक्षक प्रक्रियाओं में सहायक होता है। जब किसी व्यक्ति का जिगर पूरी तरह खराब हो जाता है और अन्य इलाज से लाभ नहीं होता, तो लीवर ट्रांसप्लांट (जिगर प्रत्यारोपण) एकमात्र जीवनरक्षक विकल्प बन जाता है।
आज के युग में वयस्क जिगर प्रत्यारोपण न केवल संभव है, बल्कि अत्यधिक सफल और सुरक्षित भी है, बशर्ते समय पर निर्णय लिया जाए।

जिगर की विफलता के प्रमुख कारण:
1. हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण l
2. शराब से होने वाला लिवर डैमेज (ALD) l
3. नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिज़ीज (NAFLD)l
4. जिगर में जन्मजात या आनुवंशिक रोग l
5. लंबे समय तक दवाओं या टॉक्सिन्स का सेवन l

जिगर प्रत्यारोपण क्या है ?
यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें खराब हो चुके जिगर को किसी स्वस्थ डोनर के जिगर से प्रतिस्थापित किया जाता है। यह डोनर मृत व्यक्ति भी हो सकता है या जीवित डोनर, जो अपना आधा जिगर देता है — क्योंकि जिगर एकमात्र ऐसा अंग है जो स्वयं को पुनः विकसित कर सकता है।

प्रत्यारोपण की सफलता के लिए ज़रूरी बातें:
1. समय पर पहचान और रेफरल l
2. अनुशासित जीवनशैली और दवा का पालन l
3. डॉक्टर के परामर्श से नियमित जांच l
4. इम्यूनो-सप्रेसिव दवाओं का संयमित सेवन l
5. स्वस्थ खानपान, व्यायाम और तनाव से बचाव l

जनता से अपील:
यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से पीलिया, थकान, पेट फूलना, उल्टी, रक्तस्राव या मानसिक भ्रम जैसी समस्याओं से पीड़ित है, तो उसे तुरंत जिगर की जांच करानी चाहिए। समय पर निदान और विशेषज्ञ सलाह से लीवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता को पहचाना जा सकता है।
ऑर्गन डोनेशन को बढ़ावा दें। एक दान किए गए जिगर से किसी को नया जीवन मिल सकता है।

नवजीवन की आशा:
वयस्क जिगर प्रत्यारोपण अब कोई असंभव या अत्यंत जटिल प्रक्रिया नहीं रही। आधुनिक चिकित्सा और कुशल सर्जनों के सहयोग से यह एक सुरक्षित और प्रभावी उपचार विकल्प बन चुका है।
इस द्वितीय सत्र के चेयरपर्सन, डॉ. साई राम, कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, कानपुर मेडिकल सेंटर, कानपुर एवं डॉ. अजीत कुमार रावत, कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, प्रथा हॉस्पिटल, कानपुर थे।
आई.एम.ए. कानपुर की अध्यक्ष, डॉ. नंदिनी रस्तोगी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की, तथा हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गणेश शंकर, वैज्ञानिक सचिव, आई.एम.ए. कानपुर ने किया, तथा अंत में धन्यवाद ज्ञापन, आई.एम.ए. कानपुर के सचिव, डॉ. विकास मिश्रा ने दिया।
इस कार्यक्रम में, डॉ. ए.सी. अग्रवाल, चेयरमैन वैज्ञानिक सब कमेटी, डॉ. कुणाल सहाय, उपाध्यक्ष, आई.एम.ए. कानपुर एवं डॉ. कीर्ति वर्धन सिंह संयुक्त वैज्ञानिक सचिव, प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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