GSVM मेडिकल कॉलेज, कानपुर में Postpartum mental health awareness camp का आयोजन किया गया ।
18 Sep 2025, Kanpur: स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान (17 सितम्बर से 2 अक्तूबर 2025) के अंतर्गत जी. एस. वी. एम. मेडिकल कॉलेज, कानपुर के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग और मानसिक रोग विभाग द्वारा दिनांक 18 सितम्बर 2025, गुरुवार को" प्रसवोत्तर मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम (Postpartum mental health awareness camp)" का आयोजन किया गया। जिसमें लगभग 75 मरीज इस व्याख्यान से लाभान्वित हुए।
कार्यक्रम का आयोजन प्राचार्य डॉ. संजय काला एवं उप प्राचार्या डॉ. ऋचा गिरी, S IC डॉ R K singh , स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. रेनु गुप्ता, मानसिक रोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. धनंजय चौधरी, नोडल ऑफिसर डॉ नीना गुप्ता के मार्गदर्शन में किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रतिमा वर्मा द्वारा किया गया।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉक्टर रेनू गुप्ता ने गर्भवती स्त्रियों एवं उनके परिवारजनों को प्रसव के पश्चात के शरीर की रिकवरी, घावों की जांच और किसी भी जटिलता के लिए निगरानी रखने के बारे में बताया गया।
नोडल अधिकारी डॉक्टर नीना गुप्ता ने बताया कि "हमें इस समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। परिवार को भी नई माँ के व्यवहार में आने वाले बदलावों को पहचानना और सहयोग करना चाहिए। सही समय पर परामर्श और इलाज से इस स्थिति को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है"।
मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष। डॉक्टर धनंजय ने बताया कि प्रसवोत्तर मनोरोग संबंधी विकारों की व्यापकता उनके प्रकार पर निर्भर करती है। इसमें प्रसवोत्तर ब्लूज़ (बेबी ब्लूज़), प्रसवोत्तर अवसाद, प्रसवोत्तर मनोविकार शामिल हैं।
मुख्य वक्ता डॉ शिखा मनोरोग विभाग से बताया कि यह विकार अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग रूप से पाए जाते हैं, जिनमें सबसे आम से लेकर दुर्लभ तक शामिल हैं।
इसमें प्रसवोत्तर मनोविकार बहुत ही दुर्लभ लेकिन गंभीर मानसिक बीमारी है जो की बच्चे के जन्म के बाद अचानक हो सकती है। एक यह लगभग 1,000 में से 1 माँ को प्रभावित करती है। यह आमतौर पर बच्चे के जन्म के पहले दो से तीन हफ्तों के भीतर शुरू होती है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है और इसके लिए तुरंत इलाज की जरूरत होती है।
इसके मुख्य लक्षण ये हो सकते है:
बहुत ज्यादा भ्रमित महसूस करना, सोचने समझने में दिक्कत महसूस करना, शक करना, अधिक ऊर्जावान होना, नींद में कमी, बच्चे या स्वयं को नुकसान पहुंचाने का डर या विचार आना।
प्रसवोत्तर मनोविकार का इलाज संभव है। इसमें आमतौर पर डॉक्टर की सलाह, दवाइयाँ और थेरेपी शामिल होती है।
प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव, नींद की कमी, नई जिम्मेदारियों का दबाव और पारिवारिक सहयोग की कमी इसके मुख्य कारण हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को सामाजिक कलंक मानने के कारण कई महिलाएं इलाज से वंचित रह जाती हैं।
कार्यक्रम में सहित सभी संकाय सदस्यों का सहयोग रहा। इस अवसर पर डॉक्टर अनीता गौतम, डॉ सीमा द्विवेदी, डॉ शैली अग्रवाल, डॉ पाविका लाल, डॉ रश्मि यादव इत्यादि उपस्थित रहे।


